लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सूर घनाक्षरी विधान,२- हिन्दी हमारी शान 3- शिक्षक समाज का दर्पण, 4-श्रद्धेयभ

हिन्दी है भाषा न्यारी

हम हिंद के पुजारी हिंदी है भाषा न्यारी,
हम मातृभूमि की जय माता के स्वर में बोले।
माता का स्वर जो मेरा वह मातृभाषा होवे,
क्यों शर्म हमको आती माता के स्वर से पहले।
 हम हिंद के पुजारी हिंदी है भाषा न्यारी
 
इक दिन नसीब से आया 14 सितंबर का दिन, 
इस दिन मुकुट पहनाया राजभाषा है बनाया। 
राष्ट्रभाषा है इसको माना तब हिंद गुदगुदाया,
पर आज भी जहां में सम्मान मिल न पाया
हम हिंद के पुजारी हिंदी है भाषा न्यारी।
 
अब हिंदी बोलने में शर्म सबको आती, 
गिटपिट बोलने पर सम्मान की करते अनुभूति।
क्या दूसरे की मां से तुम प्यार पा सके हो,
क्यों छोड़े अपनी मां की गोद प्यारी-प्यारी। 
हम हिंद के पुजारी  हिंदी है भाषा न्यारी।

पढ़ें गर्व से हम हिंदी  लिखें गर्व से हम हिन्दी,
है हिन्द की ये माता हम सब की मातृभाषा ।
करें शीश पर सुशोभित सरताज भारत मां के,
सब राज काज अपने हिन्दी में हम करेंगे।
हम हिन्द के पुजारी हिंदी है भाषा न्यारी।

हम हिन्द के निवासी  खाते हैं कसम अब,
हम  हिंदी मां को अपनी अपमानित ना होने देंगे।
चाहे कुछ भी हो जाए हिंदी का सम्मान हम करेंगे,
भारत भूमि पर इसका प्रचार प्रसार हम करेंगे
हम हिंद के पुजारी  हिंदी है भाषा न्यारी।
  
हम हिंद के निवासी हिंदुस्तां म्हारा प्यारा 
हिंदी हमारा आन,बान, शान देश का सम्मान। 
राज्य की मान और राष्ट्र का अभिमान, 
रखेंगे शान इसकी इसको ना झुकने देंगे।
हम हिंद के पुजारी हिंदी है भाषा न्यारी।

अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी' 
लखनऊ उत्तर प्रदेश।
स्व रचित मौलिक व अप्रकाशित
@सर्वाधिकार सुरक्षित। 

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4 Comments

Bahut khoob 🙏🌺

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Raziya bano

10-Sep-2022 05:16 PM

Wahh

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